यही सोच में पड़ी हूँ कैसे कहूँ अलविदा !!!


सभी कर रहे है इस साल को अलविदा !

सोची चलो मै भी करती हूँ ,

पर कैसे करू इसे विदा

ये सोच में पड़ी हूँ,


वो लम्हें वो यादें

जो मुझे जीना सिखाया

उसे कैसे करू विदा

यही सोच में पड़ी हूँ कैसे कहूँ अलविदा !


वो बीती हुई बातें ख्यालो में आ रही है

मेरे मन मष्तिक से गुजर रही है

यही सोच में पड़ी हूँ ,

कैसे कहूँ अलविदा !


एक-एक कर यादों को बटोर रही हूँ

अपनी दामन में समेट रही हूँ

कही वक्त आने पे, काम आ जाये

यही सोच के गठरी बांधे जा रही हूँ !


कुछ खुशियाँ कुछ गम समेटे

बैठी हूँ इस पल ,

क्या रखूँ और क्या विदा करूँ

यही सोच रही हूँ, हर पल !


कैसे!!!! विदा करूँ? मेरे गिरिधर गोपाल को

जब मै राह भटक रही थी

उन्होंने मुझे पथ दिखलाया

सही राह पर चलना सिखलाया!


मैं तो कर ली फैसला अभी !

न करना अलविदा कभी

बीते हुए साल को समेट लेती हूँ

अपने आँचल से बांध, दिल में छुपा लेती हूँ !


इसी के साथ नए साल की शुभ कामनाएँ मै देती हूँ

नई उम्मीदें अपनी नजरो में भर लेती हूँ

चलो फिर एक बार नये साल का स्वागत करती हूँ !


बस! इतना सीख देती हूँ ,

जब भी राह भटकना

उस बीते हुए पल की पोटली को खोलना

जो वो पथ दिखलाये उसी पथ पे चलना !!!!!!!!!!! ,


........साधना सिंह

4 टिप्‍पणियां:

aap ka swagat hai ...!!!!