सभी कर रहे है इस साल को अलविदा !
सोची चलो मै भी करती हूँ ,
पर कैसे करू इसे विदा
ये सोच में पड़ी हूँ,
वो लम्हें वो यादें
जो मुझे जीना सिखाया
उसे कैसे करू विदा
यही सोच में पड़ी हूँ कैसे कहूँ अलविदा !
वो बीती हुई बातें ख्यालो में आ रही है
मेरे मन मष्तिक से गुजर रही है
यही सोच में पड़ी हूँ ,
कैसे कहूँ अलविदा !
एक-एक कर यादों को बटोर रही हूँ
अपनी दामन में समेट रही हूँ
कही वक्त आने पे, काम आ जाये
यही सोच के गठरी बांधे जा रही हूँ !
कुछ खुशियाँ कुछ गम समेटे
बैठी हूँ इस पल ,
क्या रखूँ और क्या विदा करूँ
यही सोच रही हूँ, हर पल !
कैसे!!!! विदा करूँ? मेरे गिरिधर गोपाल को
जब मै राह भटक रही थी
उन्होंने मुझे पथ दिखलाया
सही राह पर चलना सिखलाया!
मैं तो कर ली फैसला अभी !
न करना अलविदा कभी
बीते हुए साल को समेट लेती हूँ
अपने आँचल से बांध, दिल में छुपा लेती हूँ !
इसी के साथ नए साल की शुभ कामनाएँ मै देती हूँ
नई उम्मीदें अपनी नजरो में भर लेती हूँ
चलो फिर एक बार नये साल का स्वागत करती हूँ !
बस! इतना सीख देती हूँ ,
जब भी राह भटकना
उस बीते हुए पल की पोटली को खोलना
जो वो पथ दिखलाये उसी पथ पे चलना !!!!!!!!!!! ,
........साधना सिंह
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsunder prastuti
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