आ अब लौट चले !
आ रही है नई किरण
नया जोश नई तरंग
आ अब लौट चले !
आ रहे है नये-नये उद्योग
अब न होगा बेरोजगारी
अब न होगा अपनों से दूरी
आ अब लौट चले !
मान मिलेगा सम्मान मिलेगा
देश विदेश से प्यार मिलेगा
अपना भी एक पहचान मिलेगा
आ अब लौट चले !
हम हो गये थे इतिहास
अब फिर से हम आदर्श बनेंगे
अब लोग हमारे राह पे चलेंगे
आ अब लौट चले !
पुराना पाटलिपुत्र लौट रहा है
हम से ये कह रहा है
अब न इसे खोना कभी
आ अब लौट चले !!!
~~~~साधना सिंह
अच्छा प्रयास है ........शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति .शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंbehtreen abhivyakti
जवाब देंहटाएंआपके स्नेहिल समर्थन का आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
बेहतरीन पोस्ट!
जवाब देंहटाएंसादर
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‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है
छोड़ आये उन गली कूंचों को उन्हें फिर याद करते हुए लौटना कितना अच्छा लगता है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
अच्छी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका आना सुखद लगा..
शुक्रिया.
सही कहा है....अपने नीड में लौटने की ईक्षा मन में हमेशा बलवती होती है.....
जवाब देंहटाएंवाह ||
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
बहुत ही बेहतरीन लिखा है...
अच्छा प्रयास है बहुत अच्छा लिखा है आपने बधाई....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत नज़्म..
जवाब देंहटाएंsundar :)
जवाब देंहटाएंaapke lekhan me maatiki
जवाब देंहटाएंkhushboo hai -likhtei rahiye.thax
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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